10 साल की उम्र में UP के गांव से निकल मुंबई क्रिकेटर बनने आए यशस्वी जायसवाल की कहानी है प्रेरणादायक

जायसवाल मुंबई की तरह से घरेलू क्रिकेट खेलते हैं लेकिन शायद ही बहुत कम लोगों को पता होगा कि वह उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं।

यशस्वी जायसवाल ने इंग्लैंड के खिलाफ विशाखापत्तम में दोहरा शतक जड़कर भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को एक उम्मीद दे दी है कि एक नया सुपरस्टार भारतीय आ गया है। वैसे तो यह सभी जानते हैं कि जायसवाल मुंबई की तरह से घरेलू क्रिकेट खेलते हैं लेकिन शायद ही बहुत कम लोगों को पता होगा कि वह उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। 

कहते हैं कि जब सफलता किसी को मिलती है तो सभी उस सफल व्यक्ति की कहानी को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। यशस्वी जायसवाल ने इंडियन टीम में जगह बनाने तक काफी संघर्ष किया है। यह उनका ख़ुद का संघर्ष रहा है। आइए जानते हैं कि कैसे वह उत्तर प्रदेश के गांव से निकलकर मुंबई के कंपेटिटिव क्रिकेट में जगह बनाकर भारतीय टीम में जगह पाई। 

10 साल की उम्र में अकेले UP से निकल मुंबई आए यशस्वी 

आज से 12 साल पहले यशस्वी जायसवाल क्रिकेटर बनने का सपना लेकर ग्रामीण उत्तर प्रदेश में अपने घर से 1,000 मील दूर मुंबई चले गए। इस समय उनकी उम्र मात्र 10 साल की थी। वह अकेले घर से मुंबई आए थे। 

जब वह मुंबई आए तो वहां सबसे पहले वह अपने चाचा के साथ दादर में रहने लगे। लेकिन ज्यादा समय तक वह अपने चाचा के साथ नहीं रहे। 

मुंबई में रहने और यातायात में समय बिताने के कारण उन्हें रोज प्रैक्टिस पर आने जाने में कई घंटो का नुक़सान होता था। 

11 साल की उम्र में डेयरी दुकान पर किया काम 

इसलिए रहने की जगह के बदले में उन्होंने शहर में एक डेयरी की दुकान में काम करना शुरू कर दिया। लेकिन वह सही से काम और ज्यादा समय तक डेयरी में काम नहीं कर पाए। दुकान के मालिक ने उन्हे बाहर निकाल दिया। इस समय उनकी उम्र 11 वर्ष साल की थी। 

इसके बाद वह आज़ाद मैदान में मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के ग्राउंडस्टाफ़ के तंबू में रहने लगे। उसके माता-पिता ने उसे घर आने के लिए कहा, लेकिन वह नही गए। बता दें कि आजाद मैदान वह स्थान हैं जहां पर एस्पायरिंग क्रिकेटर प्रैक्टिस किया करते हैं। यह वही मैदान हैं जहां पर सचिन खेला करते थे। 

 वह 3 साल तक वहीं टेंट पर रहे। इस तरह से 11 से 14 वर्ष की आयु वह एक तंबू में रहे। इसके बाद फिर क्रिकेट कोच ज्वाला सिंह ने यशस्वी जायसवाल की प्रतिभा को पहचाना। 

ज्वाला सिंह खुद उत्तर प्रदेश से मुंबई आए थे, इसलिए उन्होंने जायसवाल के संघर्ष को पहचाना और उनमें टैलेंट देखा। इसके बाद ज्वाला ने जायसवाल को अपने साथ रहने के लिए ले गए। और वह जायसवाल के लीगल गार्जियन बन गए।

कोच ज्वाला सिंह ने फिर यशस्वी को अविश्वसनीय रूप से प्रतिस्पर्धी मुंबई क्रिकेट के माध्यम से उनके खेल और उनके करियर का मार्गदर्शन किया।

कई बार समाचारों में कहा गया है कि जायसवाल ने अपनी जीविका चलाने के लिए स्ट्रीट फूड स्नैक, पानी पुरी बेचा। ज्वाला सिंह का कहना है कि यह बहुत बढ़ा चढ़ा कर बताया गया है। जायसवाल कभी-कभी स्ट्रीट फूड विक्रेताओं की मदद करते थे, लेकिन उनका ध्यान क्रिकेट पर था। हालाँकि कभी-कभार वे अपने दोस्तों की मदद करने के लिए पानी पूरी की स्टाल पर बैठ जाया करते थे। 

कोच के मार्गदर्शन में जायसवाल का खेल निखरा और उन्होंने मुंबई के स्कूल और मुंबई क्रिकेट क्लब में धूम मचाई और जिसकी वजह से उन्हें मुंबई U19 टीम में और फिर भारत की U19 टीम में जगह मिली।

 17 साल की उम्र में घरेलू क्रिकेट में डेब्यू किया 

जायसवाल ने अपना घरेलू क्रिकेट 17 साल की उम्र में खेलना शुरू किया। इस समय वह आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेलते हैं। 

भारत की तरफ से अब तक खेले गए 6 टेस्ट मैचों में उन्होंने दो टेस्ट शतक लगाए हैं।