नई दिल्ली: अगर आप क्रिकेट में पृथ्वी शॉ, ऋषभ पंत और यशस्वी जायसवाल जैसे क्रिकेटरों को सनसनी और भारतीय क्रिकेट का भविष्य मानते हो तो आपको शैफाली वर्मा को जानना चाहिए जो इन युवा क्रिकेटरों की तरह इस समय नाम कमा रही है। वह महिला क्रिकेट में एक सनसनी बनकर उभरी है।
शैफाली वर्मा के बारें में जो चौकाने वाली बात है वह है उनकी उम्र। इस समय वह मात्र 15 साल की है। शैफाली इतनी कम उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में मेल और फीमेल दोनों में सबसे कम उम्र में डेब्यू करने वाली सबसे युवा क्रिकेटर हैं।
शैफाली वर्मा ने इस साल सितंबर में दक्षिण अफ्रीका सीरीज के दौरान सुर्खियों में आई थीं, क्योंकि तब उन्हें टी 20 टीम में शामिल किया गया था।
हरियाणा के रोहतक की रहने वाली शैफाली का जन्म 28 जनवरी 2004 को हुआ था। शैफाली क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानती हैं। शैफाली जब मात्र 10 साल की थी तब उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया और इसमें अपना करियर बनाने का फैसला किया।
आपको बता दें कि शैफाली वर्मा को घर में क्रिकेट का माहौल मिला। उनके पिता भारत की तरफ से खेलना चाहते थे लेकिन वह ऐसा नहीं पाए। इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रोत्साहित किया। आज शैफाली अपने पिता का सपना पूरा कर रही हैं।
शैफाली ने घरेलू स्तर पर हरियाणा की महिला टीम का प्रतिनिधित्व किया है। शैफाली वर्मा सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानती हैं। उन्होंने सचिन तेंदुलकर का अंतिम रणजी मैच देखने के बाद क्रिकेटर बनने का फैसला किया।
शैफाली ने इस साल दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 5 टी 20 मैच की सीरीज़ में डेब्यू किया। दूसरे टी 20 में उन्होंने उन्होंने शानदार 46 रन बनाए। अपने करियर का 5 वां टी -20 मैच खेलते हुए उन्होंने अपने करियर का पहला अर्धशतक जड़ा।
15 साल में अर्धशतक बनाकर उन्होंने अपने आइडल सचिन के सबसे कम उम्र में अर्धशतक लगाने के रिकॉर्ड को एक बार फिर से तोड़ दिया है। इस उम्र में अर्धशतक लगाने वाली वह सबसे कम उम्र की भारतीय क्रिकेटर है। उनसे पहले सचिन ने 16 साल की उम्र में अर्धशतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के बल्लेबाज थे।
शैफाली ने 49 गेंदों में 73 रनों की पारी खेलकर मैन ऑफ़ द मैच का अवार्ड जीता। अपनी 73 रन की पारी में शैफाली ने 4 छक्के और 6 चौके शामिल लगाए।
यह भी पढ़ें: हॉकी खिलाड़ियों का अब होगा चहुमुखी विकास, हॉकी इंडिया और SAI ने लिया यह बड़ा फैसला
शैफाली वर्मा जैसी खिलाड़ी सभी युवा महिला क्रिकेटरों के लिए एक प्रेरणा हैं कि कड़ी मेहनत सफलता की कुंजी होती है।