भारत की 2011 विश्व कप जीत में भारतीय टीम में शामिल खिलाड़ी मुनाफ पटेल इस समय एक मुसीबत में फंस गए हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश के नोएडा में उन पर उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (यूपी-रेरा) ने कार्रवाई की है। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला-
मुनाफ पटेल के बैंक खाते को किया गया सीज
उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (यूपी-रेरा) द्वारा रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी किए जाने के बाद पेसर मुनाफ पटेल के बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक मुनाफ पटेल के खिलाफ 52 लाख रुपये की रिकवरी के लिए यह कार्रवाई की गई है। इस कार्रवाई की पुष्टि यूपी-रेरा के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट आलोक कुमार गुप्ता ने की है। गुप्ता ने बताया है कि पटेल के बैंक खातों को सीज करने के बाद राजस्व टीम ने पैसे की रिकवरी कर ली है।
क्या है मामला
ख़बरों के मुताबिक़, मुनाफ पटेल निवास प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड में डायरेक्टर के पद पर तैनात है। यह एक रियल एस्टेट फर्म है। कथित तौर पर कंपनी एक रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट शुरू करने के बाद निवेशकों को उसे देने में नाकाम रही। इसलिए यूपी-रेरा को उन्हें आरसी जारी करके आवश्यक कार्रवाई करनी पड़ी।
गौतम बौद्ध नगर के जिला प्रशासन के मुताबिक, निवास प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ग्रेटर नोएडा वेस्ट सेक्टर में सेक्टर 10 में यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। हालाँकि प्रोजेक्ट अभी पूरा नहीं हुआ है।
पैसे लोगों से ले लिए गए थे। इसलिए जब तय समय सीमा बीत गयी और लोगों को घर नहीं मिला तो लोगों ने इसकी शिकायत की। इसके बाद यूपी रेरा ने आगे बढ़कर कंपनी पर एक आरसी जारी की, ताकि लोगों ने जो पैसा इस प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट किया उसे रिकवर किया जा सके।
ऐसा अनुमान है कि इसमें 10 करोड़ रूपये इन्वेस्ट किया गया है। अब यह देखना बाकी है कि क्या मुनाफ पटेल और इस रियल एस्टेट फर्म के अन्य सदस्यों के खिलाफ कोई और कानूनी कार्यवाही की जाती है। बहरहाल, अब तक, कंपनी के पास यूपी-रेरा के नियमों का सम्मान करने और ग्राहकों को पैसे वापस करने की आवश्यक व्यवस्था करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
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रियल एस्टेट कानूनों के अनुसार, यह नियामक प्राधिकरण का कर्तव्य है कि वह बिल्डरों को रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करे और उनसे अपने ग्राहकों की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए कहे। ऐसा तब होता है जब बिल्डर अपने प्रोजेक्ट को तय समय सीमा के अन्दर पूरा करके लोगों को नहीं दे पाते हैं।