वर्तमान में अगर किसी क्रिकेटर ने क्रिकेट में स्पॉट फिक्सिंग की तो उसे सबसे बड़ा जुर्म माना जाता है इसके लिए उसे आजीवन क्रिकेट से बैन भी झेलना पड़ता है। वैसे क्रिकेट में अभी तब आपने कई अपराध सुने होंगे। क्रिकेटर कई बार फैन्स से उलझ जाते हैं या मैंदान पर विपक्षी टीम के खिलाड़ियों से बहस कर लेते हैं यह आम बात है।
क्या आप किसी ऐसे क्रिकेटर के बारें में जानते हैं जिसने कोई क़त्ल किया हो इस जुर्म में उसे फांसी की सजा मिली हो? एक ऐसा क्रिकेटर है। आइये इस बारें में विस्तार से जानते हैं।
अंतराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाला पहला क्रिकेटर जिसको उसके हत्या करने की वजह से फांसी पर चढ़ाया गया, वह क्रिकेटर वेस्टइंडीज का है। 1930 के दशक के वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज लेस्ली हिल्टन को अपनी पत्नी की हत्या का दोषी पाए जाने के बाद जमैका में 1955 में फांसी दी गई थी।
लेस्ली जॉर्ज हिल्टन जमैका के दाएं हाथ के गेंदबाज और निचले क्रम के बल्लेबाज थे, जो 1935 और 1939 के बीच वेस्टइंडीज के लिए छह टेस्ट मैच में खेले थे। मई 1955 में उन्हें अपनी पत्नी की हत्या के लिए फांसी दे दी गई थी, क्योंकि उन्होंने एक साल पहले अपनी पत्नी की गोली मार कर हत्या कर दी थी। लेस्ली हिल्टन ने अपनी पहली टेस्ट सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए 13 विकेट लिए थे। हिल्टन ने अपने करियर में कुल 16 विकेट ले पाये थे।
हिल्टन को जमैका के एक पुलिस इंस्पेक्टर की बेटी लुरलाइन रोज से प्यार हो गया था और उन्होंने अपने निम्न-वर्गीय जड़ों के कारण परिवार के विरोध के बावजूद 1942 में लुरलाइन से शादी कर ली। 1947 में इस जोड़े से एक बेटे का जन्म हुआ।
हिल्टन की पत्नी लुरलाइन का फैशन डिजाइनर बनने का सपना था। इसके लिए उसने न्यूयॉर्क की लगातार यात्राएं कीं। 1951 में, लेस्ली हिल्टन अपने गृह नगर चले गए और बच्चों की जिम्मेदारी लुरलाइन की माँ ने ले ली।
पत्नी के अफेयर की वजह से मारी गोली
1954 में हिल्टन को न्यूयॉर्क से एक अहस्ताक्षरित टेलीग्राम प्राप्त हुआ, जिसमें उन्हें रॉय फ्रांसिस के साथ उनकी पत्नी के नाजायज संबंध की जानकारी दी। हिल्टन ने इसके बाद अपनी पत्नी से मुलाक़ात की। शुरू में उनकी पत्नी ने अफेयर होने की बात को इंकार किया लेकिन जब हिल्टन ने टेलीग्राम मिलने की बात कही तो उसने स्वीकार कर लिया। गुस्से में हिल्टन ने उसे सात बार गोली मारी और फिर खुद पुलिस को फोन किया।
अक्टूबर 1954 में हुए ट्रायल में हिल्टन का बचाव उनके पूर्व जमैका कप्तान विवियन ब्लेक और वेस्ट इंडीज क्रिकेट बोर्ड के सदस्य नोएल नेथर्सोल ने किया था। हिल्टन ने अपनी गवाही में दावा किया कि उन्होंने खुद को गोली मारने की कोशिश की और चूक गए, इसके बजाय उनकी गोली उनकी पत्नी को लग गयी।
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हालांकि, लुरलाइन के शरीर में सात गोलियां लगी थीं, जो जूरी को आश्वस्त करती थी कि हिल्टन ने उसे मारा है। ज्यूरी ने सर्वसम्मति से उन्हें दोषी पाया और 20 अक्टूबर, 1954 को फैसला सुनाया। इसके बाद 17 मई 1955 को उन्हें फांसी दे दी गयी।