भारत को खेल को देखने वाला देश कहा जाता है। ऐसा सच भी है क्योकि भारत कभी भी ओलम्पिक में उतने पदक नहीं जीत पाया जितनी इसकी जनसंख्या है। भारत से कम जनसंख्या वाले देश भारत से ज्यादा पदक जीत जाते हैं। पदक न लाने का कारण एक तो खिलाडियों के लिए आधारभूत सुविधाओं का न होना है। दूसरा कारण है कि खेलों में भाग लेने वाले खिलाडियों का आर्थिक प्रोत्साहन है।
भारत सरकार ने घोषणा की है कि 600 खिलाडियों को पेंशन दी जा रही है। ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेताओं सहित 600 से अधिक खिलाड़ियों को आजीवन पेंशन मिल रही है। इस बात की जानकारी सोमवार को राज्यसभा में खेलमंत्री किरण रिजिजू ने दी। खिलाडियों को यह पेंशन मासिक रूप से दी जाती है।
रिजिजू ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि खिलाड़ियों के मामले में मंत्रालय के संज्ञान में रहने वाले खिलाड़ियों के मामले आए थे। खिलाडियों को उनकी योग्यता अनुसार 12,000 रुपये से 20,000 रुपये तक की आजीवन मासिक पेंशन मिल रही है। ये पेंशन उनको मिल रही है जो खेल से रिटायर हो चुके है उन्हें यह पेंशन मिल रही है।
ये खिलाडी ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों, विश्व चैंपियनशिप जैसे टूर्नामेंट में खेल चुके है। 627 स्पोर्ट पर्सनालिटी इसका लाभ ले रहें हैं।