भारतीय टेस्ट क्रिकेट ने एक ऐसा अध्याय लिखा है जिसे वर्षों तक गर्व और प्रेरणा के साथ याद किया जाएगा। 58 साल पहले 1967 में भारत ने एजबेस्टन बर्मिंघम में अपना पहला टेस्ट मैच खेला था। उस मुकाबले में भारत को हार का सामना करना पड़ा था। तब से भारत के कई महान टेस्ट कप्तान आए लेकिन हार का सिलसिला नहीं खत्म कर पाए और अब 2025 में उसी मैदान पर भारत ने इतिहास रच दिया।
बर्मिंघम से बदला, क्रिकेट इतिहास में दर्ज
1967: भारत ने एजबेस्टन में पहला टेस्ट खेला लेकिन उसमें हार मिली
2025: उसी मैदान पर भारत ने पहली बार जीत दर्ज की
विदेश में भारत की सबसे बड़ी टेस्ट जीत (रनों के अंतर से)
भारतीय टीम ने बर्मिंघम में जीत के साथ टेस्ट क्रिकेट में सेना देशों में 300+ रनों के साथ पहली बार जीती है। यह मैच भारतीय क्रिकेट के इतिहास में हमेशा याद किया जायेगा
शुभमन गिल की बतौर कप्तान पहली टेस्ट जीत
रोहित शर्मा के टेस्ट रिटायरमेंट के बाद BCCI ने युवा बल्लेबाज शुभमन गिल को कप्तानी की जिम्मेदारी दी। कप्तान गिल ने पहले मैच में हार का सामना करने के बाद उन्होंने दूसरे मैच एतिहासिक पारी खेलते हुए कप्तानी का जिम्मेदारी संभाली। और अपने कप्तानी में जीत का पहला स्वाद चखा।
गिल: मैच के टॉप स्कोरर और प्रेरणादायक कप्तान
कप्तान गिल ने दूसरे मैच की पहली पारी में 269 रन और दूसरी पारी में 161 रनों के साथ इस मैच के टॉप स्कोरर रहे हैं और इस मैच मन ऑफ द मैच भी बने, इस मैच में सबसे योगदान इनका ही रहा। और बॉलिंग में आकाश दीप और मोहम्मद सिराज ने भी अहम योगदान दिया जिससे भारतीय टीम ऐतिहासिक जीत हासिल की।
सबसे बड़ी विदेशी टेस्ट जीत
यह सिर्फ एक जीत नहीं थी यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी विदेशी टेस्ट जीत बन गई 336 रनों के अंतर से किसी भी विदेशी मैदान पर भारत की सबसे बड़ी जीत है।
शुभमन गिल: कप्तान भी, नायक भी
इस एतिहासिक जीत के नायक रहे युवा कप्तान शुभमन गिल। यह उनके टेस्ट करियर की बतौर कप्तान पहली जीत थी, और उन्होंने इसे सिर्फ रणनीति से नहीं बल्कि बल्ले से भी जीता। गिल न केवल टीम के कप्तान थे बल्कि मैच के सर्वोच्च स्कोरर भी रहे। उन्होंने एक शानदार दोहरा शतक (269 रन) जड़कर भारत को एक मजबूत स्कोर तक पहुँचाया और फिर नेतृत्व करते हुए विपक्ष को दबाव में रखा।