आसान भाषा में समझें ICC का रैंकिंग सिस्टम, कैसे दी जाती है खिलाड़ियों को रेटिंग्स

How ICC operates the rating system in ICC ranking rule in Hindi | ICC खिलाड़ियों को किस तरह से रेटिंग देता है

क्रिकेट में कोई बल्लेबाज या गेंदबाज अच्छा कर रहा है या नहीं, यह उसके ICC (आईसीसी) रैंकिंग से पता चलता है। आईसीसी हर एक सीरीज या टूर्नामेंट के बाद अपनी रैंकिंग को अपडेट करता रहता है जिसके अनुसार अच्छा या बुरा प्रदर्शन करने वाले खिलाडियों को रैंकिंग में ऊपर या नीचे रखा जाता है। आज हम आपको बताएँगे कि कैसे आईसीसी रैंकिंग (How ICC operates the rating system in ICC ranking rule) को करता है। इसके लिए आईसीसी कौन सी गणित का इस्तेमाल करता है। आइये इस बारें में विस्तार से जानते हैं। 

1987 में शुरू हुई ICC रैंकिंग की शुरुआत 

1987 में टेड डेक्सटर ने आईसीसी को खिलाड़ियों के प्रदर्शन की तुलना करने के लिए रैंकिंग सिस्टम की शुरुआत की। हालाँकि शुरुआती दिनों में ICC खिलाड़ियों को रेट करने के लिए केवल बल्लेबाजी औसत पर ध्यान दिया करता था। 

शुरूआती रैंकिंग सिस्टम में थी कमियां 

लेकिन तब जो रैंकिंग दी जाती थी उसमे कई कमियां थी। जैसे कि कौन से बल्लेबाज ने किस टीम के खिलाफ रन मारे हैं। टीम मजबूत है या कमजोर। अगर बल्लेबाज ने किसी कमजोर टीम के खिलाफ ज्यादा रन बनाये हैं तो उसका औसत तो ज्यादा होता था और इसी के अनुसार उसकी रैंकिंग रेटिंग भी ज्यादा होती थी। 


लेकिन आज के समय में यह ध्यान दिया जाता है कि बल्लेबाज ने कितनी मजबूत टीम के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया है। अगर खिलाड़ी ने मजबूत टीम के खिलाफ अच्छा खेला है तो उसको रेटिंग ज्यादा दिया जाता है और कमजोर टीम के खिलाफ अच्छा खेला है तो उसको रेटिंग पॉइंट कम दिया जाता है। 

0 से 1000 के बीच दी जाती है रेटिंग 

रेटिंग सिस्टम में बल्लेबाजों को 0 से 1000 के बीच अंकों के साथ रेट किया जाता है। ये अंक बल्लेबाज के फॉर्म के अनुसार कम या ज्यादा हो सकते हैं और ये अंक प्रत्येक खिलाड़ी को मैच पूरा होने के बाद दिए जाते हैं।


कई फैक्टर के आधार पर दी जाती है रेटिंग 

रेटिंग में पॉइंट यानी की अंको को देने की प्रक्रिया में आईसीसी खिलाड़ियों को रेट करने के लिए कुछ फैक्टर्स पर ध्यान देता है। बल्लेबाजों की रैंकिंग सबसे पहले तो इस बात पर दी जाती है कि एक बल्लेबाज जितना अधिक रन बनाएगा, उसे उतने ही अधिक अंक मिलेंगे। रेटिंग देने में पहला ध्यान ज्यादा रन बनाने पर दिया जाता है। 

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दूसरे फैक्टर में इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि बल्लेबाज ने किस बोलिंग अटैक के सामने रन बनाये हैं। अगर बल्लेबाज ने मजबूत बोलिंग अटैक के सामने रन बनाये हैं तो उसे ज्यादा रेटिंग दी जाती है। 


तीसरा फैक्टर यह होता है कि बल्लेबाज ने टीम के स्कोर में कितना योगदान दिया है। मान लो अगर कोई मैच हाई स्कोरिंग होता है और उसमे सभी बल्लेबाज रन बनाते हैं तो शतक बनाने वाले बल्लेबाज को ज्यादा रेटिंग पॉइंट नही दिया जाता है क्योंकि पिच को बल्लेबाजी के अनुकूल माना जाता है। वहीँ अगर टीम ने 200 का स्कोर बनाया और बल्लेबाज ने शतक बनाया है तो इस सेनारियो में बल्लेबाज को ज्यादा रेटिंग मिलेगी। 


उदाहरण के लिए समझते हैं- किसी टेस्ट मैच में विराट कोहली ने एक टेस्ट मैच की दोनों पारियों में दो शतक बनाए, पहली पारी में टीम का टोटल 500/10 और कोहली का स्कोर 189 और दूसरी पारी में टीम का कुल 250/10 और कोहली का स्कोर 125 है। ऐसे केस में आईसीसी कोहली के दूसरी पारी के स्कोर को ज्यादा तवज्जो देगा। इससे बल्लेबाज को ज्यादा रेटिंग मिलेगी। 


चौथा फैक्टर यह होता है कि बल्लेबाज अपनी पारी के दौरान आउट होता है या नॉट आउट रहता है। अगर बल्लेबाज नॉट आउट रहता है तो उसे ज्यादा रेटिंग पॉइंट दिए जाते हैं। 


पांचवां फैक्टर यह होता है कि अगर बल्लेबाज द्वारा स्कोर किये गए रन से उसकी टीम जीतती है तो उसे ज्यादा पॉइंट दिए जाते हैं। अगर ये जीत किसी मजबूत टीम के खिलाफ होती है तो रेटिंग पॉइंट ज्यादा दिए जाते हैं।