किस्मत और मेहनत एक दूसरे के विपरीत हैं। जब सपने को जीने और पूरा करने की बात आती है तो ये दोनों चीज़ें जरूरी होती है। किस्मत कब पलट जाए और आपकी मेहनत को सफलता में बदल दें यह किसी को पता नहीं होता है। यही बात साबित हुई है केरल के क्रिकेटर के एम आसिफ के साथ - आइये जानते हैं क्या है पूरी कहानी-
From travelling to UAE in search of work in 2016 to now travelling to UAE in a charter flight with @ChennaiIPL, Kerala's KM Asif has come a long way. Life gives you a second chance; he’s proof enough. https://t.co/gYisSp429h
— Shashank Kishore (@captainshanky) August 28, 2020
केरल के ज्यादातर लोग रोजगार के लिए अरब देशों जैसे UAE और सऊदी अरब में जाते हैं के एम आसिफ भी इसलिए दुबई मार्च 2016 में गए थे। वहां पर जिस कमरे में रहने गए थे उसमे पहले से ही 7 लोग रहते थे। लेकिन उनमे से किसी को भी यह खबर नहीं थी जो उनके साथ जो रहने आया था वह 2 साल आईपीएल में CSK के लिए आईपीएल खेलेगा और 2020 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के अन्दर और पीले कपड़ों में दुबई आकर टॉप के होटलों में रहेगा। यह पूरी कहानी है तेज गेंदबॉस के एम आसिफ की।
आसिफ का पहला प्यार क्रिकेट था लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह दुबई कमाने गए थे। वह वहां पर एक बेवरेज बोटलिंग प्लांट में स्टोरकीपर के रूप में काम करते थे। आसिफ की माँ होममेकर है और पिता दैनिक दिहाड़ी करते थे। उनकी छोटी बहन ब्रेन इंजरी से पीड़ित थ। आसिफ उस समय अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले सदस्य थे। बारिश के दिनों में उनके छत से पानी टपकता था। आसिफ को बहुत दुःख होता था कि वह अपने परिवार के लिए एक घर की भी व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं।
जब वह क्रिकेट खेल रहे थे तब वह हर ट्रायल कैम्प में छट जाते थे। उनके कोच बीजू जार्ज का मानना है कि के एम आसिफ भारत के सबसे अलग तरह के तेज गेंदबाज़ हैं।
कहीं भी सेलेक्शन न होने पर आसिफ को क्रिकेट और जीविका में से किसी एक को चुनना था। क्रिकेट के सपने को पीछे छोड़कर वह दुबई कमाने जाने का फैसला मार्च 2016 में किया। आसिफ ने कोई एज ग्रुप क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं खेला है।
आसिफ के कोच ने ही अपने दोस्तों की मदद से उन्हें दुबई में स्टोरकीपर का काम दिलाया था। कोच ने आसिफ के टिकट और वीजा की पूरी व्यवस्था भी करायी थी। दुबई जाने के बाद भी आसिफ का मन क्रिकेट से नहीं हट पाया।
आसिफ एक ही महीने तक दुबई में रहे। जैसे ही उन्हें पहले महीने की तनख्वाह मिली वह तुरंत काम छोड़कर भारत आ गए। आसिफ को दुबई में एक महीने के एक लाख मिल रहा था। आसिफ के लिए पैसा मायने नहीं रखता था। वह अपने परिवार को और क्रिकेट को वहां पर बहुत मिस करते थे इसलिए वह दुबई से काम छोड़कर भारत आ गए।
आसिफ ने ऑस्ट्रेलिया के फ़ास्ट बोलर जेफ़ थोमसन के बारे में सुना था जो पूरे देश में फ़ास्ट बोलिंग का ट्रायल IDBI बैंक की मदद से करवाते थे। इस ट्रायल में जो भी चूना जाता था उसे चेन्नई के MRF पेस फाउंडेशन में स्कोलरशिप मिलती थी और ग्लेन मैकग्रा की निगरानी में उसे ट्रेन भी किया जाता था।
दुबई से लौटने के तुरंत बाद आसिफ ने ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए तिरुवंतपुरम से वायनाड के लिए बस ली। आसिफ जब दुबई में थे तभी उन्हें ट्रायल के बारे में पता था। उन्होंने भारत आने का कोई फैसला भी नहीं किया था लेकिन जब ट्रायल के दो दिन रह गए तब वह भारत आये और ट्रायल में हिस्सा लिया।
आसिफ ने सोचा था कि वह शार्टलिस्ट हो जायेंगे तो अपने कोच को बताएँगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उनके कोच को किसी और के द्वारा यह बात पता चली। ट्रायल के दौरान थोमसन ने आसिफ को कहा था तुम अपनी गति (पेस) से समझौता मत करना। तुम बहुत आगे जाओगे। इस तारीफ से आसिफ को बहुत उत्साह मिला। उन्हें उम्मीद थी कि वह आगामी घरेलु सीजन में केरल की टीम से चुने जायेंगे।
केरल के सेलेक्टर ने उनका नाम संभावितों में भी नहीं रखा तो वह निराश हो गए। इस बात से आसिफ ने क्रिकेट को पूरी तरह से छोड़ने का फैसला किया। आसिफ ने फिर से दुबई वापस जाने का फैसला किया। दुबई में जाकर वह फिर से काम करने लगे। वहां पर ज्यादा दिन तक काम नहीं कर सकते थे क्योंकि वह विजिट वीजा पर थे।
आसिफ क्रिकेट से जितना दूर जाने की कोशिश करते थे क्रिकेट उन्हें उतना ही अपने पास बुलाता था। दुबई में रहते हुए इसी दौरान उन्होंने ICC एकेडमी में UAE की राष्ट्रीय टीम के ट्रायल के बारे में सुन रखा था। उन्होंने तुरंत ट्रायल के लिए रजिस्ट्रेशन किया और अगले दिन 3 घंटे तक ट्रायल में बोलिंग की।
आसिफ ने ट्रायल में अपना कांटेक्ट डिटेल दे रखा था। अगले दिन उन्हें फोन आया कि आकिब जावेद तुमसे मिलना चाहते हैं। आसिफ को पता था कि आकिंब जावेद कौन है। उस समय वह UAE टीम के बोलिंग कोच थे। वह आसिफ की बोलिंग की पेस से थोमसन की तरह बहुत प्रभावित हुए थे।
जावेद ने उनसे पूछा कि वह कहाँ से है और यहाँ पर क्या कर रहे हैं। आसिफ ने उन्हें सब बताया और कहा कि वह काम करने के साथ-साथ क्रिकेट भी खेलना चाहते हैं। आकिब जावेद ने उनकी जॉब एक कंपनी में लगवाई। लेकिन क्योंकि आसिफ पहले एक जॉब छोड़ चुके थे तो इसलिए इस कंपनी ने उन्हें निकाल दिया। उनका पूरा बैकग्राउंड चेक किया गया। उनका वीजा भी एक्सपायर होने वाला था। अब आसिफ के पास कोई चारा नही था सिवाय भारत वापस आने का।
दूसरी बार भारत लौटने के बाद एक दिन वह ऐसे ही केरल टीम के नेट में बोलिंग कर रहे थे। तभी उन्हें पता चला कि उनका सिलेक्शन केरल की टीम में सैयद मुश्ताक अली ट्राफी के लिए हुआ है। आसिफ को इस तरह से पहली बार केरल की तरफ से गोवा के खिलाफ टीट्वेंटी में डेब्यू करने का मौका मिला।
इस मैच के 45 सेकंड का एक वीडियो बना जिसमे वह बल्लेबाजों को अपनी गेंदों से छका रहे थे। यह वीडियो सोशल मीडिया पर केरल में खूब वायरल हुआ। इस मैच में एल सिवरामकृषण कमेंटरी कर रहे थे। आसिफ के कोच ने उनसे चेन्नई सुपर किंग के आईपीएल ट्रायल के लिए रिक्वेस्ट किया। इसके बाद आसिफ सुरेश रैना जैसे बल्लेबाज को नेट में गेंद फेंक रहे थे।
इससे एक साल पहले 2017 में, आसिफ ने अपने करीबी दोस्तों में से एक संजू सैमसन की सिफारिश पर दिल्ली डेयरडेविल्स के बल्लेबाजों के लिए बोलिंग कर चुके थे। फिर उस साल आईपीएल के दौरान, उन्होंने बेंगलुरु में कोलकाता नाइट राइडर्स नेट्स में भी गेंदबाजी की थी।
2018 में केरल के लिए डेब्यू करने के बाद उन्हें चेन्नई सुपर किंग ने 40 लाख रूपये में खरीदा। इस साल उन्होंने पुणे में दिल्ली के खिलाफ डेब्यू किया। आसिफ को मौका तब मिला जब दीपक चाहर चोटिल हो गए थे। सीएसके के लिए उन्होंने अभी केवल दो ही मैच खेले हैं।
केरल की तरफ से उन्होंने 2019-20 रणजी सीजन में डेब्यू किया।
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अभी भी वह सीएसके टीम के साथ इस सीजन में साथ है। टीम के साथ वह दुबई में है। अब आसिफ के पास खुद का घर है। अपनी बहन की वह सही से देखभाल कर पा रहे है। अब वह खुश हैं। उनका मुख्य लक्ष्य है कि वह सीएसके और केरल के लिए अच्छी गेंदबाजी करें और अपनी स्किल को बेहतर करने के लिए सीखें।
4 साल आसिफ की जो ज़िन्दगी थी वह पूरी बदल गयी. जहाँ वह दुबई 4 साल पहले काम करने गए आज वह दुनिया की सबसे महंगी क्रिकेट लीग खेलने गए है और वो भी दुनिया के सबसे बेहतरीन कप्तान की कप्तानी में और इस लीग की बेहतरीन टीम की तरफ से.
आसिफ के संघर्ष की कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है कि परिस्थितयां चाहे कुछ भी मेहनत और किस्मत आपको फर्श से अर्श पर बिठा देती है बस जरूरत है तो जज्बे और लगन की.