डोपिंग खेल में इस तरह एक जुर्म है जैसे आम जीवन में क़त्ल। अगर कोई खिलाड़ी इसके अपराध में पकड़ा जाता है तो इसकी सजा जरूर मिलती है। भारत में खिलाडियों पर निगरानी करने वाली एजेंसी NADA है जबकि वर्ल्ड में डोपिंग पर नज़र रखने वाली एजेंसी WADA है। भारतीय एथलेटिक्स से एक बुरी खबर है कि एक महिला वेटलिफ्टर को डोपिंग के उल्लंघन पर NADA ने 4 साल के लिए निलंबित कर दिया है। आइये इस बारें में विस्तार से जानते हैं।
यह महिला वेटलिफ्टर सीमा हैं। सीमा भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में वेटलिफ्टिंग में रजत पदक जीत चुकी हैं। वेटलिफ्टर सीमा को डोपिंग उल्लंघन के लिए चार साल के निलंबित कर दिया गया है।
नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) ने एक बयान में कहा गया कि सीमा का डोप सैंपल इस साल विशाखापट्टनम में 34 वीं महिला राष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप के दौरान एकत्र किया गया था।
NADA के बयान में कहा गया है, "अपनी परफॉरमेंस को बढ़ाने के लिए चल रही चैंपियनशिप के दौरान उनके सिस्टम में प्रतिबंधित पदार्थों की उपस्थिति पाई गई, जो धोखाधड़ी के एक स्पष्ट मामले और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी नियमों का उल्लंघन है।"
उनके सैंपल की विश्लेषण रिपोर्ट में एक निषिद्ध पदार्थ अर्थात् हाइड्रॉक्सी-4-मेथॉक्सी टेमोक्सीफेन (टेमोक्सीफेन का मेटाबोलाइट), चयनात्मक एस्ट्रोजन रिसेप्टर मॉड्यूलर (एसईआरएम) मेटेनोलोन, एनाबोलिक स्टेरॉयड ओस्टेरिन (एनोबोस्राम) की उपस्थिति के लिए एक प्रतिकूल विश्लेषणात्मक खोज (एएएफ) लौटाया गया है। उनकी सैंपल रिपोर्ट में जो केमिकल निकल के आया है वह NADA की लिस्ट में बैन है।
प्रतिबंधित दवाओं के उपयोग रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर सुनवाई के बाद सीमा को NADA के डोपिंग रोधी अनुशासन पैनल (ADDP) द्वारा चार साल का निलंबन दिया गया था।
सीमा ने 2017 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में रजत पदक जीता और 2018 में गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में महिलाओं की 75 किलोग्राम प्रतियोगिता में छठे स्थान पर रहीं थी। उनके निलंबन से टोक्यो ओलम्पिक एक लिए वेटलिफ्टिंग में भारत की तैयारियों को झटका जरूर लगा है .